उत्तराखंड: साइलेंट वोटर भाजपा-कांग्रेस में से किसकी मवासी लगाएंगे घाम? आप भी बताएं

  • प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’ 

उत्तराखंड में दिन दिनों निकाय चुनाव जोरों पर है। चुनाव कौन जीतेगा? कौन हारेगा? यह कह पाना अभी मुश्किल है। चुनावी माहौल में अभी उस तरह की तेजी नजर नहीं आ रही है। जैसा आमतौर पर होता है। पहाड़ों पर चुनावी शोर कुछ हद तक जोर पकड़े हुए है। लेकिन, मैदानी जिलों खासकर राजधानी देहरादून में अब तक चुनाव प्रचार रफ्तार पकड़ता नजर नहीं आ रहा है। हर कोई यही पूछ रहा है कि साइलेंट वोटर किसकी मवासी घाम लगाएंगे?

खासकर राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में कुछ ज्यादा जोर लगाते नजर नहीं आ रहे हैं। बात चाहे मेयर प्रत्याशियों की हो या फिर पार्षद पदों के प्रत्याशियों की। अब तक दोनों ही दलों के प्रत्याशी कम ही नजर आ रहे हैं।

कुछ वार्डों में डीजे बॉक्स के जरिए प्रचार होता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन, अब तक जत्थों में जो प्रचार नजर आता था। मुद्दों की बातें होती थी, फिलहाल वह सब नदारद है। प्रत्याशियों के पोस्टर तक नजर नहीं आ रहे हैं।

मेयर पद के प्रत्याशी भी चुनाव खर्च में कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। अब तक जनसभाएं भी नजर नहीं आई हैं। देहरादून नगर निगम में 100 वार्ड हैं, लेकिन अब तक जो जानकारी है, उसके अनुसार मेयर प्रत्याशी मुख्य बाजार के अलावा किसी दूर के वार्ड में अब तक नहीं आए हैं।

ऐसा क्यों हो रहा है, यह फिलहाल किसी के समझ में नहीं आ रहा है। सवाल यह है कि प्रत्याशी जनता के बीच क्यों नहीं जा रहे हैं? चुनाव की यह चुप्पी किसके पक्ष में जाने वाली है यह कह पाना थोड़ा जल्दबाजी होगी। लेकिन, अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में चुनाव को लेकर जो उदासीनता है, वह बढ़ती चली जाएगी।

लेकिन, इस सबक के बीच जो एक बात नजर आ रही है। वह यह है कि वार्डों में भाजपा-कांग्रेस से ज्यादा निर्दलीय सक्रिय नजर आ रहे हैं। भाजपा को उन वार्डों में नुकसान होना तय है, जिन वार्डों में कांग्रेस से आए नेताओं को भाजपा ने टिकट दिया है। भाजपा के इस फैसलों से कार्यकर्ता नाराज हैं और वो भाजपा के बजाय भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे निर्दलीयों के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं।

कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी ने कांग्रेस के उन नेताओं को टिकट दिया है, जो 5-6 महीने पहले ही भाजपा में आए हैं। जिन नेताओं ने भाजपा के विरोध में अपना पूरा जीवन खपा दिया। आज उनको कार्यकर्ताओं पर थोपा जा रहा है। जबकि, सालों से भाजपा को सींचने का काम कर रहे नेताओं को नकारा जा रहा है। इससे भाजपा को नुकसान होना तय है।

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *