श्री बदरीनाथ धाम यात्रा 2025 : कपाट खुलने की तिथि तय करने की प्रक्रिया शुरू, तेलकलश यात्रा का शुभारंभ

जोशीमठ: विश्वप्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निर्धारित करने की परंपरागत प्रक्रिया का शुभारंभ हो चुका है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने गुरुवार को जोशीमठ स्थित श्री नृसिंह मंदिर में तेलकलश (गाडू घड़ा) की पूजा-अर्चना और परिक्रमा के बाद इसे डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के प्रतिनिधियों को सौंप दिया। यह कलश अब योग बदरी पांडुकेश्वर पहुंच गया है, जहां से इसकी आगे की यात्रा शुरू होगी।  

 तिथि निर्धारण का महत्वपूर्ण दिन 2 फरवरी  

रविवार, 2 फरवरी को बसंत पंचमी के अवसर पर नरेंद्र नगर राजदरबार में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की जाएगी। इसी दिन तेलकलश यात्रा की अंतिम तिथि भी घोषित होगी। बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि तेलकलश यात्रा का समारोह पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न होगा।  

तेलकलश की यात्रा का क्रम  

30 जनवरी: श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में पूजा के बाद तेलकलश योग बदरी पांडुकेश्वर पहुंचा।  

31 जनवरी: पांडुकेश्वर से तेलकलश वापस जोशीमठ के श्री नृसिंह मंदिर आएगा। दोपहर भोग के बाद यह श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर डिम्मर पहुंचेगा।  

1 फरवरी: डिम्मर से तेलकलश ऋषिकेश स्थित चंद्रभागा धर्मशाला में रात्रि विश्राम करेगा।  

2 फरवरी: ऋषिकेश से राजमहल नरेंद्र नगर पहुंचकर तिथि निर्धारण समारोह में शामिल होगा।  

 तेलकलश का महत्व  

इस पवित्र कलश में भरा तिल का तेल श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के दिन मूर्ति के अभिषेक में प्रयोग किया जाता है। डिमरी पंचायत के प्रतिनिधि इस कलश को राजदरबार से लेकर बदरीनाथ धाम तक ले जाते हैं।  

 समारोह में शामिल हुए गणमान्य  

तेलकलश के हस्तांतरण समारोह में बीकेटीसी के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी गिरीश चौहान, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, लेखाकार भूपेंद्र रावत, डिमरी पंचायत प्रतिनिधि शैलेंद्र डिमरी, हरीश डिमरी, पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी, और अन्य धार्मिक व प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। योग बदरी पांडुकेश्वर में प्रबंधक नवीन भंडारी, पुजारी राजेंद्र डिमरी और महिला मंगल दल ने तेलकलश का स्वागत किया।  

अगले चरण की तैयारी  

2 फरवरी को तिथि घोषित होने के बाद तेलकलश को नरेंद्र नगर से बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान कराया जाएगा। इस दौरान हज़ारों श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में शामिल होंगे। उत्तराखंड सरकार और मंदिर प्रशासन ने यात्रा की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर विशेष तैयारियां की हैं।  श्री बदरीनाथ धाम के कपाट प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं, लेकिन तिथि की औपचारिक घोषणा इसी पारंपरिक प्रक्रिया के तहत की जाती है।

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *