बंगाणी शब्दकोश का लोकार्पण, लोकभाषा संरक्षण पर हुआ मंथन

देहरादून। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में भाषा शोधकर्ता बलवीर सिंह रावत द्वारा संकलित “बंगाणी शब्दकोश (हिन्दी-बंगाणी-अंग्रेजी)” का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर विभिन्न विद्वानों ने लोकभाषा के संरक्षण और संवर्धन पर अपने विचार रखे।

प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा ने लोकभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि किस प्रकार भाषाएं धीरे-धीरे विलुप्त हो रही हैं और इन्हें बचाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने भाषा के इतिहास को समझाने के साथ ही लोक साहित्य और लोक भाषाओं को संरक्षित करने की अपील की।

लोक साहित्य और लोक विधाओं के एनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले प्रो. डी. आर. पुरोहित ने कहा कि भाषा को बचाने के लिए उसका साहित्य में लेखन बेहद जरूरी है। उन्होंने इस पुस्तक को भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज करार देते हुए कहा कि यह लोकभाषा के संरक्षण की दिशा में “मील का पत्थर” साबित होगी।

बलवीर सिंह रावत ने बंगाणी भाषा के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और बताया कि यह शब्दकोश इस दिशा में एक सार्थक प्रयास है।

कार्यक्रम में सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता जगमोहन सिंह चौहान, रंगकर्मी सुभाष रावत, और लेखक (आपका नाम) बतौर अतिथि वक्ता शामिल हुए। वरिष्ठ शोध अधिकारी डॉ. चंद्रशेखर तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन किया, जिसमें वक्ताओं को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर अमित नौटियाल, सुनीता मलेठा, मदन सिंह रावत, डॉ. अतुल शर्मा, शूरवीर रावत, बिजेंद्र रावत, प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’, भारती आनंद, मालती रावत, बिनीता, दीना, किरना, वैजयंती माला, सुंदर सिंह बिष्ट सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

120 पृष्ठों का यह शब्दकोश “समय साक्ष्य, 15, फालतू लाइन, देहरादून – 248001” द्वारा प्रकाशित किया गया है, जिसकी कीमत ₹165 रखी गई है। यह आयोजन भाषा प्रेमियों के लिए एक प्रेरणादायक अवसर बना, जिसमें भाषा और साहित्य के संरक्षण की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया गया।

 

 

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