टिंचरी माई: द अनटोल्ड स्टोरी” का ट्रेलर और पोस्टर 11 अगस्त को होगा लॉन्च…VIDEO

देहरादून। उत्तराखंड की एक सशक्त और संघर्षशील महिला समाजसेवी टिंचरी माई के जीवन पर आधारित हिंदी फीचर फिल्म “टिंचरी माई: द अनटोल्ड स्टोरी” का ट्रेलर और पोस्टर 11 अगस्त को लॉन्च किया जाएगा। यह कार्यक्रम देहरादून के सिद्धार्थ होटल, प्रिंस चौक में पूर्वाह्न 11 बजे आयोजित होगा। फिल्म का निर्माण एन.एन. प्रोडक्शन की ओर से  किया गया है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में नितिन उपाध्याय, कार्यकारी अधिकारी, फिल्म विकास परिषद् उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में अति विशिष्ट अतिथि चन्द्रवीर गायत्री, प्रदेश अध्यक्ष, बीएसपीएस तथा विशिष्ट अतिथि रमा गोयल, प्रदेश अध्यक्ष, वैश्य महिला समाज रहेंगी। साथ ही राजीव थपलियाल (प्रदेश महामंत्री), पुष्कर नेगी, विवेक तोमर, नवल खाली, एस. पी. दुबे जैसी कई गणमान्य हस्तियां भी शिरकत करेंगी।

फिल्म की कहानी – एक अनसुनी किंतु प्रेरक गाथा

फिल्म “टिंचरी माई: द अनटोल्ड स्टोरी” उत्तराखंड की समाज सुधारिका टिंचरी माई के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म उनके संघर्ष, त्याग, सामाजिक आंदोलनों और नारी सशक्तीकरण की यात्रा को दर्शाती है। मुख्य किरदार में मेधा माथुर, दिल्ली की एक युवा टीवी पत्रकार हैं, जिन्हें असाधारण कार्य करने वाली महिलाओं पर आलेख बनाने की जिम्मेदारी मिलती है। खोजबीन के दौरान उसे “टिंचरी माई” का नाम मिलता है, और वह उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों की यात्रा पर निकलती है।

यह यात्रा उसे टिंचरी माई के जीवन की अनेक पीड़ाओं और संघर्षों से रूबरू कराती है। टिंचरी माई का जन्म पौड़ी गढ़वाल के मंञ्यूर गांव में हुआ था। बाल्यावस्था में माता-पिता का साया उठने और कम उम्र में विवाह के बाद भी उनके जीवन में दुखों का अंत नहीं हुआ। पति की द्वितीय विश्व युद्ध में शहादत, फिर बच्चों की हैजे से मृत्यु और समाज के तिरस्कार ने उन्हें एक नई राह पर ला खड़ा किया – एक जोगन और सामाजिक क्रांतिकारी के रूप में।उन्होंने कोटद्वार भाबर क्षेत्र में शिक्षा, पेयजल और नशाखोरी के खिलाफ अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया। सिगड्डी गांव में पानी के लिए आंदोलन और टिंचरी (देशी शराब) के विरोध में सामाजिक जागरण की अलख जगाई।

फिल्म का सामाजिक सरोकार

फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे मेधा को टिंचरी माई की कहानी में वर्तमान समाज की परछाइयां नजर आती हैं। फिल्म यह स्पष्ट करती है कि टिंचरी माई की लड़ाई आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उनके समय में थी। फिल्म पितृसत्तात्मक समाज, नारी सशक्तीकरण, और सामाजिक बदलाव जैसे गहन विषयों को छूती है, जो आज के संदर्भ में अत्यंत जरूरी हैं।

निर्माण और लोकेशन

फिल्म का निर्देशन युवा निर्देशक के. डी. उनियाल ने किया है और इसे नवीन नौटियाल ने निर्मित किया है। लेखक लोकेश नवानी द्वारा रचित इस फिल्म में 70 से अधिक कलाकारों ने अभिनय किया है। शूटिंग लोकेशन्स में बीठ गांव, टिहरी, चोपता, उखीमठ, धारी देवी, मलेथा, देवप्रयाग संगम, बुग्गावाला, ज्वाल्याजी, सवांणी, झंडा जी महाराज, गांधी पार्क, मालदेवता और राजपुर मार्ग सहित उत्तराखंड के कई दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं।

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