उत्तराखंड: 17 साल बाद घर लौटा बेटा, सोशल मीडिया की आवाज़ बनी आज़ादी का जरिया…VIDEO

“पिंजरे में बंद परिंदा आज फिर खुले आसमान की तरफ़ देख रहा है… उसकी आंखों में अब सपने हैं, पर उनमें साया है उन सत्रह सालों की कैद का, जो उसने बंधुआ मज़दूर बनकर बिताए।

उत्तराखंड के चमोली ज़िले के एक छोटे से गांव कौब से गुम हुआ एक बेटा संतोष अब 17 साल बाद फिर से घर की चौखट पर खड़ा है। मां की आंखों में आंसू हैं और गांव का वो माहौल खुशियों में बदल गया, जो पिछले 17 सालों से रुला रहा था। वह संतोष, जो पंजाब की एक गौशाला में बंधुआ मजदूर बनाकर रखा गया था, आज आज़ाद है।

संतोष, ग्राम पंचायत कौब निवासी श्री अशालाल का बेटा, कभी रोज़गार की तलाश में घर से निकला था। लेकिन किस्मत उसे पंजाब ले गई, जहां उसे जबरन एक गौशाला में काम पर रखा गया। उसे 17 साल तक कैद कर रखा गया, यातनाएं दी गईं। ना मज़दूरी, ना इज़्ज़त, ना पहचान।

वो कोई फिल्मी सीन नहीं था, जब उसकी पीड़ा इंटरनेट की गलियों में चीखने लगी। एक सजग नागरिक, जगजीत सिंह, ने सोशल मीडिया के ज़रिए यह कहानी दुनिया के सामने रखी और वही आवाज़ बनी संतोष की मुक्ति का ज़रिया।

जगजीत सिंह द्वारा पोस्ट किया गया वीडियो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया। दिलों को झकझोर देने वाली इस पीड़ा ने उत्तराखंड सरकार, प्रशासन और नेताओं को झकझोर दिया। और फिर शुरू हुई वो कोशिश, जिसने संतोष को बंधनों से मुक्त किया

आज जब उसे स्थानीय थाने में उसके परिजनों को सौंपा गया, तो वह दृश्य ऐसा था जैसे किसी मरे हुए को ज़िंदा देख रहे हों। गांव के बूढ़े-बुजुर्ग कह रहे हैं कि हमें तो लगा था वो अब इस धरती पर नहीं है। भगवान ने उसे हमारे बीच लौटा दिया। और मां? वो तो बस उसकी बांह पकड़कर रोए जा रही है…बेटा, तू अब कहीं मत जाना।

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *