उत्तराखंड : देवभूमि में बिकेगी नई “मेट्रो शराब”, ऐसे कैसे होगी नशा मुक्त?

उत्तराखंड : देवभूमि में बिकेगी नई “मेट्रो शराब”, ऐसे कैसे होगी नशा मुक्त?

देहरादून: देवभूमि को अब तक जड़ी-बूटी प्रदेश और आयुष प्रदेश बनाने के दावे किए जाते रहे हैं। देवभूमि को सरकार ने 2025 तक नशा मुक्त और ड्रग्स फ्री बनाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन, इससे उलट यह प्रदेश शराब प्रदेश बनाने की ओर जरूर बढ़ रहा है।

राज्य में अंग्रेजी और देशी शराब तो बिकती ही है। साथ दूसरे प्रदेशों से भी शराब की तस्करी होती रहती है। इतना ही नहीं कच्छी शराब बनाने का अवैध धंधा भी जारी है। प्रदेश में जहरीली शराब से मौत के मामले सामने आते रहे हैं। इसके अलावा अलग-अलग तरह के ड्रग्स तस्करी भी किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सरकार को मेट्रो शराब बनाना जरूरी था? क्या ऐसा करके सरकार देवभूमि को नशे के गर्त में धकेलने का काम नहीं कर रही है?

प्रदेश में अब नई आबकारी नीति के तहत नई मेट्रो शराब बिकेगी। इस नई शराब को विदेशी मदिरा की दुकानों के माध्यम से बेचा जाएगा। इस शराब को उत्तराखंड में मिलने वाली जड़ी-बूटियों और उत्तराखंड के उत्पादों माल्टा, पल्म, काफल आदि से बनाया जाएगा।

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प्रदेश के गढ़वाल मंडल के पांच जिलों में अभी देशी शराब नहीं बिकती। अब इन जिलों में नई मेट्रो शराब को बेचा जाएगा। इस शराब को उत्तराखंड में ही बनाया जाएगा। ऐसे में प्रदेश में बनने जा रही 40 प्रतिशत तीव्रता वाली इस नई शराब मेट्रो शराब को देसी और विदेशी शराब के बीच का उत्पाद माना जा रहा है।

मेट्रो शराब का निर्माण प्रदेश की डिस्टीलरियों में ही किया जाएगा। 31 मार्च से पहले इसके लिए राजस्व समेत विभिन्न नियम कायदे तय कर दिए जाएंगे। अब तक प्रदेश के टिहरी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पौड़ी और चमोली में देसी शराब की बिक्री नहीं होती है। इन जगहों के लिए नई आबकारी नीति में नई तरह की शराब की बिक्री के लिए नई व्यवस्था की गई है।

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नई मेट्रो शराब प्रदेश में ही बनाई जाएगी। भारत निर्मित अंग्रेजी शराब की तीव्रता 42.8 होती है। जबकि देसी शराब 36 और 25 प्रतिशत की तीव्रता की होती है। लेकिन मेट्रो शराब की तीव्रता 40 प्रतिशत होगी। यानी कि इसमें एल्कोहल की मात्रा 40 प्रतिशत होगी है।

मेट्रो शराब माल्टा, पुलम, आड़ू, काफल, सेब, किंगोड़, हिंसर, बमोर और प्रदेश में मिलने वाली जड़ी-बूटियों से बनेगी। इस शराब को ब्रांडेड शराब की तर्ज पर बनाया जाएगा। ये सस्ती भी होगी। आबकारी विभाग का कहना है कि एक ओर जहां इस से पड़ोसी राज्यों से होने वाली शराब की तस्करी पर रोक लगेगी तो, वहीं दूसरी ओर राजस्व बढ़ाने में भी यह अहम साबित होगी।

उत्तराखंड : देवभूमि में बिकेगी नई “मेट्रो शराब”, ऐसे कैसे होगी नशा मुक्त?

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