जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा : गोत्र ही हिंदुओं की पहचान

बिहार : गौमाता के प्राणों की रक्षा और उन्हें राष्ट्रमाता घोषित करने के लिए चल रहे राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत बिहार में गौमाता रक्षा संकल्प यात्रा के दौरान आज सुपौल में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने सनातन धर्मियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गोत्र ही हिंदुओं की असली पहचान है, जिसे लोग धीरे-धीरे भूलते जा रहे हैं। प्रत्येक सनातनी का यह परम कर्तव्य है कि वह अपने गोत्र और इसके महत्व को याद रखे।

सुपौल में आयोजित कार्यक्रम में शंकराचार्य जी का भारी संख्या में उपस्थित गौभक्तों और बिहारवासियों ने पालकी में बिठाकर कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाया। गौमाता के महत्व को रेखांकित करते हुए शंकराचार्य जी ने कहा कि 33 कोटि देवी-देवताओं की आश्रय स्थली गौमाता की महत्ता इसी से समझी जा सकती है कि जीवन में गुरु और ईश्वर का स्थान सर्वोपरि है, फिर भी घर में भोजन बनाते समय पहली रोटी गौमाता के लिए निकाली जाती है। उन्होंने कहा कि गौमाता की रक्षा के लिए भगवान नारायण हर युग में अवतरित होते हैं। इस पवित्र भारत भूमि पर अब हम किसी भी कीमत पर गौमाता का रक्त नहीं बहने देंगे।

राजनीतिक निष्क्रियता पर टिप्पणी करते हुए शंकराचार्य जी ने कहा कि पिछले 78 वर्षों तक जनता नेताओं पर भरोसा करती रही, लेकिन कुछ नेता निहित स्वार्थों के लिए गौकशी को बढ़ावा देते रहे। अब समय आ गया है कि गौमाता के प्राणों की रक्षा के लिए हम मतदान करें। इससे गौमाता की रक्षा होगी और हम गौकशी के पाप से बच सकेंगे। उन्होंने उपस्थित गौभक्तों से दाहिना हाथ उठाकर गौमाता की रक्षा के लिए मतदान करने का संकल्प दिलवाया।

कार्यक्रम के बाद शंकराचार्य जी फारबिसगंज पहुंचे, जहां रास्ते में कई स्थानों पर भक्तों ने पुष्पवर्षा और जयकारों के साथ उनका स्वागत किया। कुछ स्थानों पर भक्तों ने शंकराचार्य जी के चरण-पादुका की पूजा कर अपने जीवन को धन्य बनाया।

कार्यक्रम में प्रत्यक्चैतन्यमुकुंदानंद गिरी जी महाराज, श्रीनिधिरव्यानंद दिव्यानंद सागर जी, देवेंद्र पाण्डेय, राजीव झा और रामकुमार झा ने भी लोगों को संबोधित किया।

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