बड़ी खबर: सुप्रीम कोर्ट की सीएम धामी पर कड़ी टिप्पणी, अब वैसा समय नहीं कि जैसा राजा बोले वही हो…

बड़ी खबर: सुप्रीम कोर्ट की सीएम धामी पर कड़ी टिप्पणी, अब वैसा समय नहीं कि जैसा राजा बोले वही हो…

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पुष्कर सिंह धामी पर कड़ा टिप्पणी की है। SC ने सवाल किया कि उन्होंने राज्य के वन मंत्री और अन्य लोगों राय की अनदेखी कर एक भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी को राजाजी टाइगर रिजर्व का निदेशक क्यों नियुक्त किया? साथ ही यह भी कहा कि सरकार के प्रमुखों से ‘पुराने जमाने के राजा’ होने की उम्मीद नहीं की जा सकती और हम ‘सामंती युग’ में नहीं हैं। 

राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी को टाइगर रिजर्व का निदेशक नियुक्त करने का आदेश 3 सितंबर को वापस ले लिया गया है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक IFS अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का निदेशक नियुक्त किये जाने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही इस पीठ में न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे।

SC ने कहा कि प्रथम अधिकारी की ओर से एक विशेष टिप्पणी थी, जिसका उप सचिव, प्रमुख सचिव और राज्य के वन मंत्री ने भी समर्थन किया था कि IFS अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, इस देश में सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत जैसा कुछ है। कार्यपालिका के प्रमुखों से पुराने दिनों के राजा होने की उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे जो भी कहेंगे, वही करेंगे। हम सामंती युग में नहीं हैं।

इस दौरान पीठ ने पूछा, मुख्यमंत्री को IFS राहुल विशेष स्नेह क्यों होना चाहिए? क्या सिर्फ इसलिए कि वे मुख्यमंत्री हैं, तो वो कुछ भी कर सकते हैं? जबकि पीठ ने ये भी पाया कि IFS अधिकारी के खिलाफ अभी विभागीय कार्यवाही लंबित है। विशेष टिप्पणी का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री बस इसे अनदेखा कर रहे हैं।

वहीं, राज्य की ओर से कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता एएनएस नादकर्णी ने कहा कि अधिकारी पर राज्य पुलिस या केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) या प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से दर्ज कोई एफआईआर दर्ज नहीं है। वकील ने कहा कि अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से संबंधित थी, जहां कई अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। सुनवाई के दौरान, पीठ ने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि उत्तराखंड के वन मंत्री और मुख्य सचिव ने राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक के रूप में अधिकारी की नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी।

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