बिहार चुनावी जीत के बाद BJP का बड़ा फैसला, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निकाला

पटना/नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के जश्न के बीच बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह की प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी है। पार्टी ने इसे “एंटी-पार्टी एक्टिविटी” करार दिया है, लेकिन सिंह ने इसे “भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज दबाने की कोशिश” बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। सिंह ने नीतीश कुमार सरकार पर अडाणी समूह के साथ हुए बिजली खरीद समझौते में 62,000 करोड़ रुपये के घोटाले का गंभीर आरोप लगाया है, जिसे उन्होंने “जनता के साथ धोखा” करार दिया। यह विवाद चुनाव परिणामों के ठीक एक दिन बाद भड़का है, जो बिहार की राजनीति में नया तनाव पैदा कर रहा है।

घोटाले का दावा

सिंह ने सोशल मीडिया पर दस्तावेज साझा करते हुए आरोप लगाया कि भागलपुर के पिरपैंती में 2,400 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट का प्रोजेक्ट, जो मूल रूप से एनटीपीसी द्वारा लगाया जाना था (केंद्रीय बजट में घोषित), अचानक निजी कंपनी अडाणी पावर को सौंप दिया गया। उनका दावा है कि यह बदलाव “किसी के हित में” किया गया, जिससे राज्य को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है।

  • बिजली खरीद दर: सरकार अडाणी से 6.75 रुपये प्रति यूनिट (फिक्स्ड चार्ज 4.16 रुपये + फ्यूल चार्ज) पर बिजली खरीदेगी, जबकि बाजार दर इससे काफी कम (लगभग 4.34 रुपये प्रति यूनिट) है।
  • एनटीपीसी मॉडल में: फिक्स्ड चार्ज सिर्फ 2.32 रुपये प्रति यूनिट होता, यानी 1.84 रुपये प्रति यूनिट का अतिरिक्त बोझ।
  • कुल नुकसान: 25 साल के समझौते में सालाना 2,500 करोड़ का घाटा, कुल 62,000 करोड़ रुपये। भूमि 1,050 एकड़ 1 रुपये प्रति वर्ष पर लीज पर दी गई, जबकि बाजार मूल्य लाखों में है।

सिंह ने सवाल उठाया: “जब एनटीपीसी का इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे रेल लाइन) पहले से तैयार था, तो प्रोजेक्ट क्यों निजी हाथों में सौंपा गया? यह किसे फायदा पहुंचाने के लिए?” उन्होंने लिखा, “चोरी और सीना जोरी साथ नहीं चल सकती। भ्रष्टाचार पर चुप रहना हमारे संस्कार में नहीं है।” सिंह ने बिहार ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों पर साठगांठ का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की।

प्रोजेक्ट का इतिहास

प्रोजेक्ट 2012 से अटका हुआ था, जब बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी ने भूमि अधिग्रहित की। कई प्रयासों (सार्वजनिक क्षेत्र सहित) के बावजूद यह शुरू नहीं हो सका। 2024 में बिहार सरकार ने ओपन बिडिंग की, जिसमें अडाणी सबसे कम बोली (6.075 रुपये/यूनिट) पर चुना गया। पहला 800 एमडब्ल्यू प्लांट 2028 दिवाली तक चालू होगा। काहलगांव एनटीपीसी प्लांट के पास होने से इंफ्रास्ट्रक्चर का फायदा मिलेगा।

अडाणी और BJP का खंडन

अडाणी पावर ने बयान जारी कर आरोपों को “पूरी तरह आधारहीन” बताया। कंपनी ने कहा कि प्रोजेक्ट 12 साल से अटका था, और बिहार इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2025 के तहत नॉमिनल रेंट पर भूमि लीज दी गई। बोली सबसे कम थी, और कोई “बिक्री” नहीं हुई। बिहार उद्योग मंत्री नितीश मिश्रा ने टिप्पणी से इनकार किया।

बीजेपी ने सिंह को निलंबित करते हुए कहा कि उनके बयान “पार्टी छवि को नुकसान” पहुंचा रहे हैं। राज्य अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा, “एंटी-पार्टी गतिविधियां अस्वीकार्य। सिंह को स्पष्टीकरण मांगा गया है।” यह कार्रवाई सिंह के हालिया बयानों के बाद आई, जहां उन्होंने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और जायसवाल पर भी सवाल उठाए थे।

विपक्ष का साथ: कांग्रेस ने उठाया मुद्दा, “डबल करप्शन गवर्नमेंट”

कांग्रेस नेता पवन खेरा ने आरोपों को “सिद्ध” बताते हुए कहा, “सिंह जैसे BJP नेता भी भ्रष्टाचार उजागर कर रहे हैं। यह डबल इंजन नहीं, डबल करप्शन सरकार है।” उन्होंने केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों पर सवाल उठाया, जो कथित रूप से अडाणी को फायदा पहुंचाते हैं। आरजेडी ने भी CBI जांच की मांग की। पूर्व में ABP न्यूज ने सिंह के इंटरव्यू पर ट्वीट डिलीट किया, जिस पर विवाद हुआ।

सिंह (72 वर्षीय पूर्व आईएएस, 2014-2024 तक ऊर्जा मंत्री) ने कहा, “मुझे निष्कासित करें, लेकिन सच्चाई दब नहीं सकती।” 2024 लोकसभा में आरा से हारने के बाद वे पार्टी से असंतुष्ट थे।

राजनीतिक प्रभाव: चुनावी जीत पर साया

एनडीए की 190+ सीटों वाली जीत के बाद यह विवाद नीतीश सरकार के लिए चुनौती। प्रह्लाद मोदी की जन सुराज ने भी पुराने आरोपों को दोहराया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह 2029 लोकसभा का मुद्दा बन सकता है। सरकार ने स्पष्टीकरण देने से इनकार किया, लेकिन जांच की संभावना से इनकार नहीं।

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