बांग्लादेश: पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा, ICT ने मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया; भारत में निर्वासन के बीच प्रत्यर्पण पर सवाल

ढाका: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए फांसी की सजा सुनाई है। तीन सदस्यीय पीठ ने हसीना को गैर-हाजिर सुनवाई में दोषी ठहराते हुए कहा कि उन्होंने 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हिंसक दमन का आदेश दिया था, जिसमें 1,400 से अधिक मौतें हुईं। कोर्ट ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी फांसी की सजा दी, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को गवाह बनने पर 5 वर्ष की कैद सुनाई। यह फैसला ढाका में लाइव प्रसारित हुआ, जिसके बाद कोर्टरूम में पीड़ित परिवारों ने तालियां बजाईं।

यह सजा बांग्लादेश की राजनीति में भूचाल ला रही है। हसीना, जो अगस्त 2024 से भारत में निर्वासित हैं, ने फैसले को “राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताते हुए खारिज कर दिया। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने इसे “न्याय का फैसला” कहा, लेकिन हसीना की आवामी लीग ने राष्ट्रीय हड़ताल का ऐलान किया है। ढाका में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, और सेना तैनात है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-अगस्त 2024 के आंदोलन में 1,400 मौतें और 25,000 घायल हुए थे।

कोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष: 5 गंभीर आरोपों पर दोष सिद्ध

ICT की 453 पृष्ठों वाली जजमेंट में हसीना को उकसावे, हत्या के आदेश और रोकथाम में विफलता का दोषी ठहराया गया। मुख्य न्यायाधीश गोलम मोर्तुजा मोजुमदार ने कहा, “हसीना ने हेलीकॉप्टर, ड्रोन और घातक हथियारों का इस्तेमाल कर नागरिकों पर हमला करवाया।” कोर्ट ने 54 गवाहों के बयानों और सबूतों के आधार पर ये निष्कर्ष निकाले:

आरोप संख्या विवरण कोर्ट का निष्कर्ष
1 छात्रों की मांगों को नजरअंदाज कर उन्हें ‘रजाकार’ (1971 युद्ध के सहयोगी) कहना। उकसावे से हिंसा भड़की, हसीना का बयान प्रत्यक्ष सबूत।
2 उकसावे के बाद प्रदर्शनकारियों (मुख्यतः छात्राओं) पर हमला। आवामी लीग की छात्र-युवा शाखाओं ने ढाका यूनिवर्सिटी पर हल्ला बोला।
3 हिंसा रोकने के बजाय सख्त कार्रवाई का आदेश। गृह मंत्री और IG को निर्देश, हेलीकॉप्टर-ड्रोन से फायरिंग।
4 चंखारपुल में 5 अगस्त को 6 प्रदर्शनकारियों की हत्या। हसीना के आदेश पर हुई, दक्षिण ढाका मेयर से बातचीत में सबूत।
5 कुल 1,400 हत्याएं, जिसमें अबु सईद (रंगपुर यूनिवर्सिटी छात्र) की गोली मारकर हत्या। न्याय रोकने और दंडात्मक कार्रवाई में विफलता, मानवता के खिलाफ अपराध।

कोर्ट ने कहा, “ये हत्याएं हसीना के पूर्ण ज्ञान और आदेश पर हुईं।” पूर्व IG अल-मामून ने गवाही देकर सजा कम करवाई। सुनवाई 28 दिनों में पूरी हुई, जिसमें हसीना को कई बार पेश होने का समन भेजा गया, लेकिन वे नहीं आईं।

पृष्ठभूमि: छात्र आंदोलन से सरकार गिरावट

2024 में सिविल सेवा कोटा पर छात्र आंदोलन शुरू हुआ, जो हसीना के इस्तीफे की मांग में बदल गया। शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक दमन में तब्दील हो गया, जिसमें पुलिस, बीएसएफ और लीग कार्यकर्ताओं ने गोलीबारी की। 5 अगस्त 2024 को हसीना ने भारत भागकर इस्तीफा दिया। यूनुस सरकार ने ICT के जरिए मुकदमा चलाया, जो हसीना ने खुद स्थापित किया था। मानवाधिकार संगठनों ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” कहा।

प्रतिक्रियाएं: जश्न और तनाव

  • पीड़ित परिवार: मीर मुग्धो के भाई ने कहा, “1,400 हत्याओं के लिए 1,400 फांसी होनी चाहिए।” ढाका यूनिवर्सिटी में छात्रों ने मिठाइयां बांटीं।
  • हसीना का बयान:”यह पक्षपाती और राजनीतिक फैसला है। मैं घातक बल के इस्तेमाल में शामिल नहीं।” उनके बेटे साजीब वाजेद ने अपील न करने का ऐलान किया, जब तक लोकतांत्रिक सरकार न बने।
  • आवामी लीग:”कंगारू कोर्ट” करार देकर हड़ताल। ढाका में 30 बम विस्फोट और 26 वाहन जलाए गए।
  • अंतरिम सरकार:”पारदर्शी प्रक्रिया”, लेकिन हिंसा रोकने के लिए शूट-एट-साइट आदेश।
  • भारत: प्रत्यर्पण पर चुप्पी। हसीना ने भारत को “सबसे बड़ा सहयोगी” कहा, लेकिन यूनुस सरकार ने गुहार लगाई।

वैश्विक प्रभाव: मानवाधिकार चिंताएं

संयुक्त राष्ट्र ने 1,400 मौतों की पुष्टि की। Amnesty International ने कोर्ट को “निष्पक्ष न होने” का आरोप लगाया। हसीना की 19 हत्या की कोशिशों से बचने वाली जिंदगी अब खतरे में। बांग्लादेश में चुनाव से पहले यह फैसला अस्थिरता बढ़ा सकता है।

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