मुख्यमंत्री समेत नागरिक उड्डयन सचिव और UCADA के CEO के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग

देहरादून: केदारनाथ-गौरीकुंड मार्ग पर 15 जून को हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद, अब इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है। उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने इस हादसे के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, नागरिक उड्डयन सचिव और यूकाडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को जिम्मेदार ठहराते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए (गैर इरादतन हत्या) के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

प्रशासनिक लापरवाही और हेली-कंपनियों की मुनाफाखोरी

इस संबंध में संगठन ने पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड को एक औपचारिक पत्र सौंपा है, जिसमें हादसे को ‘प्रशासनिक लापरवाही और हेली-कंपनियों की मुनाफाखोरी’ का परिणाम बताया गया है। पत्र में मांग की गई है कि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।

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हादसों की फेहरिस्त से उठे सवाल

गौरतलब है कि यह हादसा उत्तराखंड में पिछले डेढ़ महीने में हुई पांचवीं हेली दुर्घटना है, जिसने प्रशासनिक तैयारियों और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे की प्रमुख वजह खराब मौसम और कम दृश्यता बताई जा रही है, बावजूद इसके हेलीकॉप्टर को उड़ान की अनुमति दी गई।

प्रमुख मांगें

  • सभी सिंगल इंजन हेलीकॉप्टरों की हिमालयी क्षेत्र में उड़ानों पर तत्काल रोक।

  • हेली-सेवाओं की कार्यप्रणाली की जांच के लिए स्वतंत्र समिति का गठन।

  • UCADA और DGCA की भूमिका की निष्पक्ष जांच।

  • मृतकों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा और सहायता।

सुरक्षा नियमों की अनदेखी

आर्यन एविएशन को 15 जून के लिए सुबह 6 से 7 बजे तक का उड़ान स्लॉट दिया गया था, जबकि हेलीकॉप्टर ने उड़ान 5रू30 बजे ही भर दी। यह क्ळब्। और न्ब्।क्। द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (ैव्च्) का सीधा उल्लंघन है। पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि चारधाम यात्रा के दौरान अब तक 8,000 से अधिक उड़ानें हो चुकी हैं, लेकिन सुरक्षा मानकों के तहत अपेक्षित डबल इंजन हेलीकॉप्टर का उपयोग नहीं किया गया।

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जिम्मेदारी तय करने की मांग

पत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामीए नागरिक उड्डयन मंत्री के तौर पर, नागरिक उड्डयन सचिव के खिलाफ एसओपी के अनुपालन में विफलता के लिए। यूकाडा के सीईओ के खिलाफ हेली संचालन और निगरानी में लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा जर्द करने की मांग की गई है।

बड़े आंदोलन की चेतावनी 

उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मुद्दा राज्यव्यापी जन आंदोलन का रूप ले सकता है। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला केवल एक हादसे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक जवाबदेही, सुरक्षा मानकों और जनजीवन की रक्षा से जुड़ा मुद्दा है।

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